जीवन परिचय अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' Ayodhya Singh upadhyay ka Jivan parichay


                जीवन परिचय अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
        Ayodhya Singh upadhyay ka Jivan parichay
नमस्कार दोस्तों मैं राहुल एक बार फिर से स्वागत करता हूं आपके अपने ब्लॉग पर दोस्तों आज मैं आप लोगों को अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहा हूं उम्मीद करता हूं कि यह ब्लॉग आपको पसंद आएगा और अगर आपने अभी तक हमारे यूट्यूब चैनल को  सब्सक्राइब नहीं किया है तो नीचे मैं लिंक दे दूंगा उस चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए:-https://www.youtube.com/channel/UCABsAEsHEUl1mRFpz-ndtfA

जीवन परिचय- श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध आधुनिक हिंदी खड़ी बोली के प्रथम महाकवि है| इन्होंने काव्य के क्षेत्र में भाव और भाषा दोनों दृष्टियों से नये नये प्रयोग किए और युुुग अनुरूप नवीन आदर्शों की प्रतिष्ठा की| हरिऔध जी का जन्म संवत 1922 विक्रमी (सन 1865 ईस्वी) में ग्राम निजामाबाद, जिला आजमगढ़  के एक सनाढ्य  ब्राम्हण परिवार में  हुआ था | इनके पिता का नाम पंडित भोला सिंह और  माता का नाम रुकमणी देवी था| भोला सिंह के  बड़े भाई  पंडित ब्रह्म सिंह ज्योतिष के  अच्छे विद्वान थे |
 हरिऔध जी की  प्रारंभिक शिक्षा  इन्हीं की  देखरेख में हुई|  मिडिल परीक्षा पास करने के पश्चात  यह काशी के  क्वींस कॉलेज में  पढ़ने के लिए  भेजे गए  लेकिन  अस्वस्थ होने के कारण पढ़ ना सके  |इन्होंने  घर पर ही  रह कर  अंग्रेजी और उर्दू का  गहन अध्ययन किया | संवत 1939 विक्रमी  (सन 1882 ईस्वी)  मैं इनका विवाह हुआ |  विवाह के बाद इन्हें  आर्थिक संकट का  सामना करना पड़ा  |इसीलिए  सर्वप्रथम इन्होंने  इन्होंने  निजामाबाद  के  एक तहसील स्कूल  में लगभग 3 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया , जिसके बाद  यह कानूनगो हो गए |
सन उन्नीस सौ 9 ईसवी में सरकारी नौकरी से अवकाश प्राप्त करके काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अवैतनिक अध्यापक हो गए| सन 1941 तक वे इस पद पर रहे इसके बाद अवकाश ग्रहण करके आजमगढ़ को अपना निवास स्थान बनाया और वहीं रहकर साहित्य सेवा में अपना जीवन समर्पित किया यही सन 1945 ईस्वी में इनका स्वर्गवास हो गया|

 साहित्यिक सेवाएं- हरिऔध जी द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि थे|  इन्होंने खड़ी बोली को नया रूप प्रदान किया तथा प्राचीन कथानको में नवीन  उद्भावनाएं समाहित की| इनकेे काव्य में वात्सल्य रस  एवं  विप्ररलंभ श्रृंगार का जगमगाता  रूप  झलकता है |

 रचनाएं- हरिऔध जी ने गद्य पद्य दोनों में ही सफलतापूर्वक रचना की है इनके द्वारा रचे गए काव्य का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है--
 प्रियप्रवास, वैदेही -वनवास, रस -कलश,  चोखे -चौपदेऔर चुभते- चौपदे , इनके अतिरिक्त हरिऔध जी के अन्य काव्य ग्रंथ इस प्रकार हैं --रुक्मिणी -परिणय, प्रद्युम्न- विजय ,बोलचाल ,पद्य -प्रसून, पारिजात, ऋतु मुकुर, काव्योपवन, प्रेम- पुष्पोपहार, प्रेम- प्रपंच, प्रेमाम्बु -प्रस्रवण |
इनके प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैं-- ठेठ हिंदी का ठाठ, अधखिला फूल, प्रेमकांता|
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें